Friday 14 February 2014

बाल शिक्षा व बाल संस्कार कार्यक्रम 2012











































 ग्रामीण कहे जाने वाले करीब 2 करोड़ 50 लाख ऐसे बच्चे हैं. जो खतरनाक कहे जाने वाले उद्योगों में जैसे गलीचा बुनाई, माचिस कारखाने, कांच कारखानें एवं पाटाखोंके कारखाने में काम कर रहे हैं।
भारत में साधारण बाल श्रमिकों की संख्या 1 करोड़ 70 लाख से अधिक है।

होटलों रेस्तराओं चाय की दुकानों और ढाबों आदि में काम करने वाले बच्चों की संख्या 1 करोड 26 लाख से अधिक है।
चोरी. अनैतिक कार्य. यौन शोषण इत्यादि में 2 करोड बच्चे लिप्त हैं।
   यह देश की गम्भीर समस्या है और यह भी सत्य है कि समस्या जितनी गम्भीर होगी उसके समाधान के लिए व्यक्तित्व भी उतना ही बडा होना चाहिए और आप यह भी जानती हैं कि सत्संग के आचार्यदेव श्री श्री दादा के आशिर्वाद से शुभम 1998 से बच्चों के कार्यक्रम को लेकर आगे बढता जा रहा है।क्योंकि यह इच्छा एक महापुरूष की है।
     महापुरूष जब धरा पर आते हैं तो सम्पूर्ण धरती के मंगल की बात करते हैं।शुभम बाल शिक्षा व बाल संस्कार उनका एक आशिर्वाद है और देश की सबसे गम्भीर समस्या।
   
 कहा जाता है किसी भी देश के बच्चे न केवल उस देश की संस्कृति होते हैं बल्कि उस देश के भविष्य के संकेतक भी होते हैं। शुभम ग्रामीण व शहरी इलाकों में बच्चों की सेवा पिछले 14 सालों से करता आ रहा है।हमने अपने अनुभवों से यह जाना है कि सरकारी आंकडे अपनी प्रशंसा में चाहे जितना बढा चढाकर कुछ भी क्यों न कहे. पर महापुरूषों के आशिर्वाद को पूर्णत्व प्रदान करने एवं करोडों बच्चों को संरक्षण प्रदान करने मातृ संगठन आगे नहीं आएगा तो कार्य अपूर्ण ही होगा? सरकार उन बच्चों को स्कूल ही भेज सकती है पर ममता का हाथ हम मातृ शक्ति ही रख सकती हैं.
     
 बहुत सी स्वयं सेवी संस्थाएं बहुत रूप से इस सेवा कार्य में संलग्न हैं।इतना ही नहीं. हम बहनें भी व्यक्तिगत व सामाजिक रूप से बहुत प्रकार से इस सेवा कार्यो से जुडी हैं।पर महिला सम्मेलन होने के नाते हमारे संगठन को बच्चों के भविष्य संवारने का गौरव मिले. तो शायद यह पूरे महिला सम्मेलन के लिए बहुत बडी उपलब्धि होगी।क्योंकि जो कार्य कोई व्यक्तिगत रूप में कर रहा है वह समूह के साथ कर सकेगा।

जिन्हें हम मातृ शक्ति की आवश्यकता है। हम बहनें अपने अपने स्तर  से इस तरह के कार्यक्रम प्रारम्भ करें. तो एक दिन हम लाखों बच्चों तक पहुंच सकती हैं। इतना ही नहीं हर गांव हर शहर में कोई न कोई गैर सरकारी संगठन इन नेक कार्यो में संलग्न है। हम बहुत आसानी से उनके साथ मिलकर. आर्थिक सहयोग के माध्यम से. अपनी सेवा और अपनी ममता ऐसे बच्चों तक पहुंचा पाने में सफल हो सकते हैं। यह एक ऐसा कार्य है जिसके माध्यम से न केवल असहाय परिवार. बल्कि हम अपने भी परिवार एवं समाज में अपनी सेवा भावी छवि एवं अपने सम्मेलन की छवि को और उत्कृष्टता प्रदान कर सकती हैं।
    
  अतः मेरी आपसे बारम्बार गुजारिश है. बाल शिक्षा व बाल संस्कार कार्यक्रम. 2012 से हमारा प्रमुख कार्यक्रम घोषित हो।  आपका योगदान लाखों लाखों बच्चों के आत्मविकास में सहायक होगा और शायद यही सबसे बडी समय की मांग व सामाजिक हित एवं ईश्वरीय भक्ति है।
 धन्यवाद।

बाल शिक्षा व बाल संस्कार कार्यक्रम की योजना :
बाल शिक्षा व स्वास्थ कार्यक्रम


1 .आदिवासी बच्चों की शिक्षा                                                                              
आदिवासी क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं के सहयोग द्वारा

शहरी पिछडे वर्ग के बच्चों की शिक्षा : स्थानीय स्कूलों के सहयोग एवं  परीक्षा के अन्तर्गत 50 प्रतिशत से कम नम्बर लाने वाले बच्चों के लिए
बच्चों के लिए ट्युसन व्यवस्था :
  1. सफाई के प्रति जागरूकता
  2. मानसिक व शारीरिक स्वस्थता के प्रति जागरूकता
  3. रंग चित्रकारी प्रतियोगिता
  4. खेलकूद प्रतियोगिता
  5. महापुरूषों के जन्मदिनों पर उनकी जीवनी पर आधारित क्वीज कार्यक्रम
  6. राष्ट्रीय पर्वों पर विशेष राष्ट्रीय चेतना कार्यक्रम
  7. दीपावली पर आयोजन
  8. बाल दिवस व शिक्षक दिवस पर आयोजन
  9. कम्प्यूटर प्रशिक्षण

महिला विकास कार्यक्रम : वोकेसनल ट्रेनिंग  सेन्टर
  1. कम्प्यूटर प्रशिक्षण
  2. सिलाई प्रशिक्षण
  3. बुनाई प्रशिक्षण
  4. कढाई प्रशिक्षण 
  5. पेंटिंग प्रशिक्षण
  6. प्रौढ महिला शिक्षा

मदर्स मीटींग
  1. उक्त शिक्षा लाभ बच्चों की माताओं साथ प्रति शनिवार बैठक
  2. उक्त महिलाओं की बच्चों के प्रति चेतना पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्शन
  3. उक्त महिलाओं की पारीवारिक चेतना पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्शन
  4. उक्त महिलाओं की सामाजिक चेतना पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्शन
  5. उक्त महिलाओं की स्वास्थ सम्बन्धी चिन्ताओं पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्श
  6. प्रति माह सत्संग का आयोजन

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बाल शिक्षा व बाल संस्कार कार्यक्रम की योजना के लिए कलेक्सन
संक्रान्ति कलेक्सन कैम्प योजना
भारतीय संस्कृति की मान्यता के अनुसार. मकर संक्रान्ति के दिन दान का एक विशेष महत्व होता है।
अतः अपनी समस्त योजना को चलाने के लिए 14 जनवरी के दिन शुभम द्वारा 1998 से स्थानीय धर्मशाला या मन्दिर में समिति
की सदस्याओं द्वारा विशेष  कैम्प लगाए जाते हैं।
बच्चों की देखरेख के लिए कोई भी इच्छुक दानदाता 500 रूपये देकर एक बच्चे का एक साल का खर्च उठा सकता है।
कैम्प के लिए व्यवस्था :
एक सप्ताह पूर्व पूरे गांव में पोस्टर।
4 दिन पूर्व से पम्पलेट वितरण।
कैम्प स्थल में बैनर।
बच्चों की शिक्षा हेतू डोनर कार्ड 100 रूपये से 500 रूपये तक।
5 जगह काउंटर : 1 .अन्न 2 .वस्त्र 3 .बर्तन  4 .किताब 5 .कॉपी पेन पेंसिल 6 . फीस अर्थात् डोनर कार्ड।
प्रातः 10 बजे से कलेक्सन कैम्प के साथ दरिद्र भोजन वितरण।
अपराह्य सम्बन्धित गैर सरकारी संगठनों को निमन्त्रण।
उक्त समय समिति की सदस्याओं के परिजनों एवं समाज के अन्य गणमान्य व्यक्तियों को विशेष निमन्त्रण।
जो कार्य समिति की अपनी देखरेख में चलते हैं उतनी ही धनराशि समिति केवल बच्चों के निमित्त घोषणा के साथ बचा सकती है।
उक्त समय ही. कलेक्स की विस्तृत जानकारी एवं कलेक्सन की सामग्री यथायोग्य संगठनों को वितरित किया जाता है।
सबके लिए अल्पाहार की व्यवस्था।
विषेष : अल्पाहार में लगने वाला खर्च सदस्याओं द्वारा प्रायोजित किया जाता है।
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शुभम : बाल शिक्षा व बाल संस्कार केन्द्र
प्रस्तावना
:-
जिस प्रकार की नींव होती है उसी के अनुरूप उस पर खड़े भवन की मजबूती भी होती है। यदि नींव ही कमजोर हो तो उस पर भव्य भवन का निर्माण कैसे हो सकता है? बच्चे भावी समाज की नींव होते हैं। लेकिन आज के दूषित वातावरण में बच्चों पर ऐसे ऐसे गलत संस्कार पड़ रहे हैं कि उनका जीवन पतन की ओर जा रहा है। बालकरूपी नींव ही कच्ची हो तो सुदृढ़ नागरिकों से युक्त समाज कहां से बनेगा? किसी भी परिवार, समाज अथवा राष्ट्र का भविष्य उसके बालकों पर निर्भर होता है। उज्जवल भविष्य के लिए हमें बालकों को सुसंस्कारित करना होगा। बालकों को भारतीय संस्कृति के अनुरूप शिक्षा देकर हम एक आदर्श राष्ट्र के निर्माण में सहभागी हो सकते हैं। शुभम बाल शिक्षा व बाल संस्कार के्रन्द्र की विभिन्न सेवा कार्यो द्वारा बच्चों को ओजस्वी, तेजस्वी, यशस्वी बनाने 'बाल बाल शिक्षा व संस्कार केन्द्र’ की स्थापना।
अपने शाखा के अन्तर्गत गरीबी रेखा से रहने वालों बच्चों के लिए सरकारी या गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा चलाई जाने वाली स्कूलों में अपनी तरफ से विशेष अवसरों पर जाकर कार्यक्रम आयोजित करना।

प्रारम्भिक अवस्था में कम खर्च पर कार्यक्रम कैसे प्रारम्भ करें?

प्रति सप्ताह व विशेष अवसर पर बच्चों के शिक्षा व संस्कार के लिए चलाए जाने वाले के विषय:-
  1. सफाई के प्रति जागरूकता
  2. मानसिक व शारीरिक स्वस्थता के प्रति जागरूकता
  3. रंग चित्रकारी प्रतियोगिता
  4. खेलकूद प्रतियोगिता
  5. महापुरूषों के जन्मदिनों पर उनकी जीवनी पर आधारित क्वीज कार्यक्रम
  6. राष्ट्रीय पर्वों पर विशेष राष्ट्रीय चेतना कार्यक्रम
  7. दीपावली पर आयोजन
  8. बाल दिवस व शिक्षक दिवस पर आयोजन

इन्हीं बच्चों की माताओं के साथ इन्हीं स्कूलों में माह में एक बार अलग से क्लास रूम की सुविधा लेते हुए मदर्स मीटींग करना। क्योंकि
बच्चों के विकास के लिए उनकी माताओं का विकास सबसे ज्यादा आवश्यक है।

    प्रति माह मदर्स मीटींग के विषय : उक्त शिक्षा लाभ बच्चों की माताओं साथ प्रति शनिवार बैठक

  1. उक्त महिलाओं की बच्चों के प्रति चेतना पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्शन
  2. उक्त महिलाओं की पारीवारिक चेतना पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्शन
  3. उक्त महिलाओं की सामाजिक चेतना पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्शन
  4. उक्त महिलाओं की स्वास्थ सम्बन्धी चिन्ताओं पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्श
  5. प्रति माह सत्संग का आयोजन