देश की आवश्यकता बाल शिक्षा व बाल संस्कार
मातृशक्ति कितनी हैं तैयार?
1. शुभम चेरिटेबल असोसिएसन के आवश्यक नियम:
- यह संस्था पूर्णत : श्री श्री ठाकुर के आदर्श पर आधारित है।
- परमपूजपाद श्री श्री दादा एवं श्री श्री बबाई दा की प्रेरणानुसार सारे सेवा कार्य सम्पादित किए जाएंगे
- गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली महिलाओं. व बच्चों के उत्थान के लिए विशेष रूप से समर्पित होगी।
- इसकी इकाइयां अन्यत्र राज्य शहर अथवा गांव में स्थापित की जा सकेंगी।
- इस संस्था का मुख्यालय शिलांग होगा।
- इकाइयों का नाम अमुक शहर के नाम विशेष के नाम के अनुसार होगा जैसे “ शुभम चेरिटेबल असोसिएसन शिलांग ब्रांच”
- ७ सदस्या मिलकर किसी भी शहर में शुभम की शाखा प्रारंभ कर सकती है.
- संस्था में अध्यक्षा, उपाध्यक्षा, सचिव, सहसचिव व कोशाध्यक्षा के अतिरिक्त कम से कम दो कार्यकारिणी सस्यता की आवशयकता अनिवार्य होगी.
- शुभम से लाभ लेने वाले प्रत्येक बचों व महिलाओं के लिए प्रति रविवार सत्संग केन्द्र में जाना।
- शुभम को आयकर 80G के अनतर्गत इनकम टेक्स छूट की सुविधा है.
उद्देश्य : (इस संस्था के समस्त कार्य १५ वर्ष के बच्चों व महिलाओं के विकाश के लिए होगा.)
२.शुभम चेरिटेबल असोसिएसन के कार्यक्रर्म :
गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले बच्चों के विकास के लिए :
बाल शिक्षा व स्वास्थ कार्यक्रम :
1. आदिवासी बच्चों की शिक्षा
- आदिवासी क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं के सहयोग द्वारा
2. शहरी पिछडे वर्ग के बच्चों की शिक्षा
स्थानीय स्कूलों के सहयोग द्वारा
- परीक्षा के अन्तर्गत 50 प्रतिशत से कम नम्बर लाने वाले बच्चों के लिए ट्युसन व्यवस्था
- कम्प्यूटर प्रशिक्षण
- सफाई के प्रति जागरूकता
- मानसिक व शारीरिक स्वस्थता के प्रति जागरूकता
- रंग चित्रकारी प्रतियोगिता
- खेलकूद प्रतियोगिता
- महापुरूषों के जन्मदिनों पर उनकी जीवनी पर आधारित क्वीज कार्यक्रम
- राष्ट्रीय पर्वों पर विशेष राष्ट्रीय चेतना कार्यक्रम
- दीपावली पर आयोजन
- बाल दिवस व शिक्षक दिवस पर आयोजन
महिला सशक्ति कार्यक्रम
1. वोकेसनल ट्रेनिंग सेन्टर
शुभम द्वारा संचालित
- सिलाई प्रशिक्षण
- बुनाई प्रशिक्षण
- कढाई प्रशिक्षण
- पेंटिंग प्रशिक्षण
- प्रौढ महिला शिक्षा
- जूट प्रशिक्षण
- रॉ जूट प्रशिक्षण
- नृत्य व संगीत प्रशिक्षण
- लाइफ स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम
2। मदर्स मीटींग
• उक्त शिक्षा लाभ बच्चों की माताओं साथ प्रति शनिवार बैठक
• उक्त महिलाओं की बच्चों के प्रति चेतना पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्शन
• उक्त महिलाओं की पारीवारिक चेतना पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्शन
• उक्त महिलाओं की सामाजिक चेतना पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्शन
• उक्त महिलाओं की स्वास्थ सम्बन्धी चिन्ताओं पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य
मार्गदर्शन
मार्गदर्शन
• प्रति माह सत्संग का आयोजन
३. संगठन
५. सदस्यता शुल्क
१०००/- होगा.
६ . बैठक
प्रति माह अंतिम शनिवार
७ सदस्यताओं के कर्तब्य
संस्था को सुचारुरूप से चलने में सहयोग प्रदान करना.
३. संगठन
- राष्ट्रीय स्तर
- स्थानीय स्तर
- वो महिला जो शुभम के उदेश्य में विश्वास रखती हो.
५. सदस्यता शुल्क
१०००/- होगा.
६ . बैठक
प्रति माह अंतिम शनिवार
७ सदस्यताओं के कर्तब्य
संस्था को सुचारुरूप से चलने में सहयोग प्रदान करना.
‘शुभम परिवार’ के हम सब साथी. आओ एक संकल्प उठाएं।
आशा विश्वास की ज्योत जगाकर. देश को सुन्दर बनाएं।।
और अप्रेल 2012 से मार्च 2013 तक़ अपनी अपनी शाखा में अखिल भारतीय मारवाडी महिला सम्मेलन के अन्तर्गत शुभम परिवार की स्थापना कर बाल शिक्षा व बाल संस्कार कार्यक्रम को आगे लाएं।
बाल शिक्षा व बाल संस्कार का हमारा यह कार्यक्रम योजनाबद्ध तरीके से चल सके।इस लिए हमने इसके लिए तीन योजनाएं बनाई हैं।
प्रथम चरण :
बाल शिक्षा व बाल संस्कार शहरी कार्यक्रम
शहर के अन्तर्गत अभावग्रस्त जो परिवार होते हैं।उन्हें विभिन्न प्रकार के तलकीफों व पीडाओं के बीच जीवन व्यतीत करना होता है।इनके माता पिता मजदूरी करके ही जीवन यापन करते हैं।ऐसे परिवारों में शराब दुराचार जैसी बहुत सी बुराईयां पनपती हैं।ऐसे परिवार के बच्चों को न तो उचित शिक्षा मिलती है न संस्कार। ऐसे लोग फीस का बोझ उठा नहीं पाते और निःशूल्क सरकारी स्कूलों में क्लास रूम तो होते हैं परन्तु पढाई नहीं होती।अतः ऐसे बच्चों के शिक्षा व संस्कार के संरक्षण के लिए प्रयास करना।
1। परन्तु किसी भी कार्य के संपादन के लिए सर्वप्रथम जगह की आवश्यकता होती है।अतः हमें ऐसी नीति अपनानी है कि हम अत्यधिक व्यय से बचें।इसके लिए सरकारी व समाज सेवी संस्थाओं द्वारा चलाई जा रही स्कूलों के प्रबन्धन समिति द्वारा क्लास पूर्ण होने के बाद 2 या चार क्लास रूम की स्वीकृति लेना।
2। इन्हीं स्कूलों के बच्चों में से जो बच्चे ज्यादा कमजोर हैं उनके लिए इन्ही क्लासों में प्रत्येक सोमवार से शुक्रवार विभिन्न विषयों पर ट्युसन की व्यवस्था करना।
3। शुभम परिवार की स्थापना का एक बडा उद्धेश्य है देश को अच्छा नागरिक देना।इसके लिए इस बात का हम विशेष रूप से ध्यान रखें कि कहीं से भी किसी को भी चाहे रियायत दें. परन्तु निःशूल्क सेवा की आदत न डालें। अतः बच्चों से प्रतिमाह यथासम्भव 25 या 50 रूपये लेने का प्रयास अवश्य करें।
4। कुछ स्कूलों में बच्चों से फीस लेने के लिए अवरोध आता है।अतः थीरे धीरे उन्हीं बच्चों में ऐसी मानसिकता का विकास करने का प्रयास करें कि वे फीस न बोलकर सहयोग की भावना से कुछ रूपये अवश्य दें।
5। प्रत्येक बच्चों को फार्म भरवाकर ही प्रवेश दिलाना।
6। कम्प्यूटर प्रशिक्षण।
7। खेलकूद प्रतियोगिता।
8। सफाई के प्रति जागरूकता।
9। रंग चित्रकारी प्रतियोगिता।
10। दीपावली पर आयोजन।
11। बाल दिवस व शिक्षक दिवस पर आयोजन।
12। राष्ट्रीय पर्वों पर विशेष राष्ट्रीय चेतना कार्यक्रम।
13। मानसिक व शारीरिक स्वस्थता के प्रति जागरूकता।
14। महापुरूषों के जन्मदिनों पर उनकी जीवनी पर आधारित क्वीज कार्यक्रम करवाना।
15। प््रात्येक शनिवार को इन्हीं बच्चों की माताओं को बुलाकर मदर्स मीटींग करना।
द्वितीय चरण :
बाल शिक्षा व बाल संस्कार कार्यक्रम को सफल बनाने हेतू बच्चों की माताओं को जगाना अधिक आवश्यक
• उक्त शिक्षा लाभ बच्चों की माताओं साथ प्रति शनिवार बैठक।
• उक्त महिलाओं की बच्चों के प्रति चेतना पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्शन।
• उक्त महिलाओं की पारीवारिक चेतना पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्शन।
• उक्त महिलाओं की सामाजिक चेतना पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्शन।
• उक्त महिलाओं की स्वास्थ सम्बन्धी चिन्ताओं पर विचार विमश व उचित परामर्श व यथायोग्य मार्गदर्श।
• प््राति माह सत्संग का आयोजन।
तृतीय चरण :
आदिवासी अथवा वनवासी क्षेत्रों में शिक्षा व संस्कार का कार्यक्रम
• हमारी संस्था महिलाओं की संस्था है।अतः हमारे पास सीमित संसाधन हैं।फिर भी हम मातृशक्ति हैं।साधन चाहे सीमित हों. हमारे दायित्व समाज और देश के लिए कदापि सीमित नहीं हैं। हमारी इसी उपेक्षा का लाभ के कारण भारत के करीब डेढ़ लाख गांवों में लगभग 9 करोड वनवासी समाज आज भी है, जिन्हें हमारे प्यार व सहारे की आवश्यकता है। हमारे आगे न आने के कारण कई अन्य संस्थाएं बड़ी संख्यां में उन्हें नाना प्रकार के प्रलोभन देकर अन्य धारा पर ले जा रही हैं।अतः हम मातृ शक्ति को योजना बद्ध तरीके से जागना ही होगा।
• कल्याण आश्रम के 60 वर्ष के अथक प्रयास एवं हजारों पूर्णकालीन कार्यकर्ता व हजारों अंशकालीन कार्यकर्ता द्वारा 49355 वनवासी गांवों तक़ 14466 सेवा प्रकल्पों के माध्यम से शिक्षा. औषधि. जीवनोपयागी वस्तुएं आदि उनकी झोंपड़ी तक पहुंचा कर. उनके अशिक्षा, रोग, बेरोजगारी दूर करने के पवित्र कार्य में जुटे हैं।
• अपने अपने स्थान पर हम मातृशक्ति को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष उनके सहयोग में अपना अंशदान करना ही होगा।
• उनके द्वारा चलाए जा रहे विद्यालयों को हम आसानी से गोद ले सकते हैं।
• मकर संक्रान्ति पर दान करने की परम्परा सदियों से रही है।अतः कुछ दान उनके लिए भी करना चाहिए जिन्हें ज्यादा जरूरत है।
• साथ ही आम लोंगो के अन्दर दान के साथ साथ दायित्व ग्रहण करने का बोध जागृत करने का प्रयास करें।आम लोंगो के पास जाकर वनवासी बच्चों के दुख तकलीफ की बात बताएं।
• मकर संक्रान्ति को सम्यक क्रान्ति का रूप प्रदान करें।प्रत्येक मकर संक्रान्ति के विशेष पर्व पर मोहल्ले मोहल्ले में एक कलेक्सन कैम्प का आयोजन करें तथा उससे प्राप्त सामग्री कल्याण आश्रम के सहयोग से वनवासी बच्चों तक पहुंचाने का प्रयास करें।
• यथा सम्भव वनवासी कल्याण आश्रम के सहयोगियों के साथ वन यात्रा करें।जरूरतमंद बच्चों के दुख तकलीफ को माताएं नहीं समझेंगी तो कौन समझेगा?
अतः आईए बहनों एक ऐसे परिवार की स्थापना करें जिसमें सबके लिए सुख हो समृद्धि हो खुशहाली हो।अन्य जानकारी व सहयोग के लिए हमसे सम्पर्क करें।
धन्यवाद.